भारत में शिक्षा प्रणाली की विरासत और वर्तमान

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डॉ. अजय कृष्ण तिवारी

Abstract

पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में, भारत में शिकà¥à¤·à¤¾ की गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ थी जिसमें जो कोई भी अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना चाहता था वह शिकà¥à¤·à¤• (गà¥à¤°à¥) के घर जाता था और उसे पà¥à¤¾à¤¨à¥‡ का अनà¥à¤°à¥‹à¤§ करता था। यदि गà¥à¤°à¥ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤• छातà¥à¤° के रूप में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया जाता है, तो वह गà¥à¤°à¥ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर रहेगा और घर में सभी गतिविधियों में मदद करेगा। इसने न केवल शिकà¥à¤·à¤• और छातà¥à¤° के बीच à¤à¤• मजबूत संबंध बनाया, बलà¥à¤•à¤¿ छातà¥à¤° को घर चलाने के बारे में सब कà¥à¤› सिखाया। गà¥à¤°à¥ ने वह सब कà¥à¤› सिखाया जो बचà¥à¤šà¤¾ सीखना चाहता था, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ से पवितà¥à¤° शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ तक और गणित से लेकर ततà¥à¤µà¤®à¥€à¤®à¤¾à¤‚सा तक। छातà¥à¤° जब तक चाहे तब तक रहे या जब तक गà¥à¤°à¥ को यह महसूस नहीं हà¥à¤† कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जो कà¥à¤› भी सिखाया है, वह उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सिखाया जा सकता है। सभी सीखने को पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और जीवन से निकटता से जोड़ा गया था, और कà¥à¤› जानकारी को याद रखने तक ही सीमित नहीं था।

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