बिहार में वैष्णव भक्ति आंदोलन: उद्भव एवं विकास

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डॉ. कुमार गौरव मिश्रा

Abstract

बिहार, भारत में अपनी समृदà¥à¤§ सामाजिक, सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• इतिहास के लिठपà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है। मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में बिहार की चिंतनधारा पर वैषà¥à¤£à¤µ धरà¥à¤® का पूरा पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ पड़ा। चंदेशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संकलित कृतà¥à¤¯à¤°à¤¤à¥à¤¨à¤¾à¤•à¤° से यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ होता है कि मिथिला में 13वीं तथा 14वीं सदियों में लोगों के उपासà¥à¤¯ देवता थे- विषà¥à¤£à¥, हरि तथा शिव। बिहार में वैषà¥à¤£à¤µ धरà¥à¤® के विकास के दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ से बिहार का मिथिला पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– है। यह वही कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° है जहां विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ ने गोरकà¥à¤·à¤µà¤¿à¤œà¤¯, कीरà¥à¤¤à¤¿à¤²à¤¤à¤¾, कीरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¤¤à¤¾à¤•à¤¾, उमापति ने पारिजातहरण की रचना की। मिथिला पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में वैषà¥à¤£à¤µ पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ के सामाजिक à¤à¤µà¤‚ राजनीतिक कारण है। 

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