माधà¥à¤¯à¤®à¤¿à¤• विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ के विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤“ं का सामाजिक आरà¥à¤¥à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में शैकà¥à¤·à¤¿à¤• उपलबà¥à¤§à¤¿ का तà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
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Abstract
शिकà¥à¤·à¤¾ किसी à¤à¥€ देश के विकास का आधार होता है। इसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ न केवल कà¥à¤¶à¤² मानव संसाधन का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होता है, बलà¥à¤•à¤¿ देश के विकास के लिये योगà¥à¤¯ नागरिक का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¥€ होता है। किसी à¤à¥€ बालक का शैकà¥à¤·à¤¿à¤• विकास उसके जनà¥à¤®à¤œà¤¾à¤¤ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¥€à¤¯ दशाओं दोनों से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होता है। हम बालक के जनà¥à¤®à¤œà¤¾à¤¤ कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¤“ं मं परिवरà¥à¤¤à¤¨ नहीं कर सकते है, किनà¥à¤¤à¥ उसे बेहतर विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ घरेलू वातावरण उपलबà¥à¤§ कराकर उसे अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤ कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¤“ं का सरà¥à¤µà¤¾à¤¤à¥à¤¤à¤® विकास किया जा सकता है। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• समाज में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ रखने वाले वरà¥à¤— पाये जाते है। सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के उतार-चà¥à¤¾à¤µ का कà¥à¤°à¤® चलता रहता है और इसी आधार पर विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ वरà¥à¤—ो का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होता है। à¤à¤• वरà¥à¤— के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने को दूसरे वरà¥à¤— के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ समà¤à¤¤à¥‡ है जबकि समाज में पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤— के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤• दूसरे पर निरà¥à¤à¤° रहते है।